पटेल समाज के धार्मिक स्थल :-
1. आस्था का केंद्र श्री राजेश्वर धाम :-
संत श्री राजारामजी महाराज आश्रम, शिकारपुरा, जोधपुर यह आश्रम राजस्थान के जोधपुर जिले के गाँव शिकारपुरा में स्थित है। इस आश्रम की स्थापना उन्नीसवीं शताब्दी में संत राजारामजी महाराज द्वारा की गयी
श्री राजाराम जी महाराज का आश्रम लूनी से 6 किमी दूर शिकारपुरा गॉव में प्रवेश करते ही आँजणा समाज की गौरव महिमा का परिचय उसके भव्य स्वरूप से हो जाता है । सर्वप्रथम शिकारपूरा तालाब पर ही राजारामजी द्वारा महादेवजी का मंदिर बनवाया गया था जिससे वर्तमान में राजारामजी का पुराना मंदिर कहा जाता है । तत्पश्चात एक बगीची का निर्माण करवाया गया था । जो आज एक भव्य एवं विस्तृत धाम का रूप ले चूका है और यह अब राजारामजी आश्रम के नाम से प्रसिद है । आज यह धाम आँजणा समाज का प्रतीक बन कर पुरे समाज को दिशा देने का रथ है । शिकारपुरा का जो वर्तमान स्वरूप है उसके पीछे समाज बन्धुओ का तो योगदान है ही किन्तु पूजनीय किशनारामजी की प्रेरणा और उनके परिश्रम को कम करके नहीं आका जा सकता ।
राजारामजी का आश्रम शिकारपुरा में एक बहुत बड़े भू-भाग पर फेला हुआ है । इस आश्रम में दो प्रवेश द्वार है एक प्रवेश द्वार लूणी शिकारपुरा मार्ग पर स्थित है जो सीधा मुख्य मंदिर तक ले जाता है और दूसरा प्रवेश सालावास शिकारपुरा मार्ग पर स्थित है मुख्य चोराहे से डेड किमी अन्दर जाने पर अभी हाल ही में निर्मित भव्य सत्संग भवन तक पहुचते है ।
राजारामजी आश्रम में मुख्य मंदिर राजारामजी का जीवित समाधी स्थल है जिसके साथ ही श्री राधा कृष्णा का मंदिर भी है। शिकारपुरा मंदिर अत्यंत ही भव्य तथा शांतिप्रदायक है , चारो और राजारामजी की जीवनी हस्त कला - कृतियो के माध्यम से दर्शाया गया है । इस मंदिर से ऊपर की और जाते ही श्री राधा कृष्णा का नवनिर्मित मंदिर है जिसकी छटा देखते ही बनती है ।
मंदिर के बायीं और बहुत बड़े भू- भाग में धर्मशाला का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चूका है ।यह धर्मशाला भविष्य में आश्रम में विश्राम स्थल के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी । इसी के साथ - साथ एक विशाल रसोई भवन भी निर्मित किया गया है । जो मेले के दौरान तथा अन्य दिवसों में आये हुए अतिथियों की सेवा में मुख्य भूमिका निभा रही है ।रसोई भवन के पास में ही बहुत बड़ी यज्ञशाला है जिसमे बड़ी मात्रा में यज्ञ - वेदिया बनाई गयी जो बहुत मनोरम आभा बिखेरती है यज्ञशाला के समीप एक मंदिर तथा एक पानी की टंकी भी है ।
इस मंदिर के दायी और एक बहुत बड़ी गौशाला है जिसमे काफी संख्या में गौमाताये है जिनकी अच्छे प्रकार से सेवा सुश्रषा की जाती है दिन के समय में गायो को चराने के लिए खेतो में ले जाया जाता है , गौशाला के समीप ही पक्षियों के लिए चबूतरे का निर्माण कराया गया है जहा पर अनेको अन्न आदि दिया जाता है आश्रम में वर्तमान में विशाल सत्संग [ सभा ] भवन का निर्माण करवाया गया है ,जहा श्री किशनारामजी महाराज के सानिध्य में सत्संग होते थे और अब वर्तमान गादिपति श्री दयारामजी महाराज की निश्रा में सारे कार्यकर्म संपन होते है।इस भवन की शिल्प-कला अत्यंत मनोरम है इस पुरे आश्रम में फेली हुई हरियाली बहुत सुखद अनुभव देती है ।
इस आश्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहाँ पर आनेवाले श्रदालुओ की .. की जाने वाली सेवा तथा अतिथि सत्कार बहुत सहारनीय है। श्रदालु वर्तमान गादीपति श्री दयारामजी महाराज का सामीप्य पाकर अपने आप में धन्य मानते है यहाँ पर श्रदालुओ के ठहरने के लिए विश्राम घर भी है, यहाँ आने वाले हर श्रदालु को चाय, गाय का दूध, दही,भोजन,अल्पाहार आदि की व्यवस्था से अतिथि सत्कार किया जाता है सभी सेवा करने वाले भी भक्तगण ही है। आश्रम में विशाल अन्न भंडार है जिसका उपयोग श्रदालुओ के लिए किया जाता है।पुरे आश्रम की व्यवस्था यहाँ पर बनी हुई प्रन्यास सिमिति देखती है जिसका कार्यालय भी आश्रम में ही स्थित है।
जून 2011 में समाधी मंदिरों का प्रतिष्ठा महोत्सव धूमधाम से संपन हुआ । इस प्रतिष्ठा महोत्सव में लगभग 12 लाख श्रदालु उपस्थित थे ब्रह्मलीन देवारामजी महाराज एवम किशनारामजी महाराज की समाधी पर नवनिर्मित मंदिर की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक समारोह ने प्रदेश ही नहीं बल्कि पुरे देश के मानचित्र पर शिकारपुरा आश्रम की गूंज फ़ेला दी । प्रतिष्ठा महोत्सव को देखते हुए हाल ही में कई नये निर्माण भी करवाए है ।
2.आस्था का केंद्र श्री चेंडा मंदिर
संत श्री राजारामजी महाराज आश्रम, चेंडा, पाली
यह आश्रम राजस्थान के पाली जिले के गाँव चेंडा में स्थित है | चेंडा गाँव पाली शहर से करीब 49 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं |
भाव आस्था से महापुरुषों की यादगिरी में पवित्र स्थानों का निर्माण होता हैं । इसी सन्दर्भ में संवत २००० श्रावण वद १४ को भगवान श्री 1008 राजारामजी के समाधी ग्रहण करने के बाद उनकी पाटवी शिष्या श्री हंजा बाई जी ने अपने गुरु की सेवा साधना हेतु चेंडा गांव में आसन ग्रहण किया । चेंडा गांव के भगवत प्रेमियों के योगदान से उक्त गांव के तालाब के किनारे भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया जो श्री राजारामजी महाराज की बगेची के नाम से प्रख्यात है । उक्त पवित्र स्थान की प्रतिष्ठा संवत 2015 वैशाख सुद्र 13 के 24 गांवो के संत महंत खोड़ जितडा को रसोई देकर की गई । उक्त स्थान का कार गुजार भाव भक्ति से आकाश व्रती पर चल रहा हैं । हंजाबाई ने भगवान श्री राजारामजी का जन्म दिन प्रकट करने के लिये उक्त स्थान पर रामनवंमी को मेला लगाने की संपूर्ण व्यवस्था की जाती है। यह मेला प्रतिष्ठा समय से लगातार लग रहा हैं । जिसमें चैत्र शुक्ल अष्टमी की रात्री को विशाल संत सांगत का आयोजन प्रति वर्ष किया जाता हैं । उक्त मंदिर के प्रति गांव वासियों की हार्दिक आस्था हैं । एवं उनका योगदान सराहनीय हैं । यह स्थान हंजाबाई संरक्षण के प्रगति का प्रतिक हैं । और वर्तमान में गादिपति श्री भगवती बाई जी के सानिध्य में यहाँ पर आने वाले श्रदालुओ के लिए चाय-पानी , दुध और उचित भोजन की उत्तम व्यवस्था की जाती है ।
3. अंजनी माता मंदिर, चेंडा, पाली
यह आश्रम राजस्थान के पाली जिले के गाँव चेंडा(नया) में स्थित है | चेंडा गाँव पाली शहर से करीब 52 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं |
4. संत श्री माला राम जी महाराज आश्रम, बिन्जा, पाली
यह आश्रम राजस्थान के पाली जिले के गाँव बिन्जा में स्थित है | बिन्जा गाँव पाली शहर से करीब 35 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं |
5 . संत राजा राम मंदिर, लुम्बा की ढाणी, जालौर
यह मंदिर लुम्बा की ढाणी के लोगों द्वारा बनाया गया है | यहाँ हर साल रामनवमी को मेले का आयोजन होता है.
6. संत राजारामजी मंदिर, तालियाना, जालौर
यह मंदिर संत ओखा राम जी के द्वारा बनाया गया हैं | जो भगवान कृष्ण की उपासना और संत राजा राम जी महाराज के शिष्य थे |
7 .माता अर्बुदा देवी मंदिर, माउंटआबू
यह मंदिर माउंट (राजस्थान) में स्थित है |
8.संत राजारामजी मंदिर ,पारलू (बाड़मेर)
यह मंदिर बाड़मेर के पारलू गाव में स्थिति है।
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